दीपक अधिकारी


हल्द्वानी
उत्तराखंड में जारी लगातार बारिश, बादल फटने, अचानक बाढ़ आने व भूस्खलन जैसी घटनाओं से पूरे प्रदेश में जनजीवन अस्त-व्यस्त बना हुआ है। देहरादून और राज्य के कई अन्य हिस्सों में मंगलवार को बादल फटने और रात भर हुई मूसलाधार बारिश से भारी तबाही मची। उफनती नदियों ने इमारतों, सड़कों और पुलों को बहा दिया, जिससे 15 लोगों की मौत हो गई, 16 लोग लापता हो गए और पहाड़ी राज्य के विभिन्न स्थानों पर करीब 900 से लोग फंस गए।इसी बीच हरिद्वार में भी भारी बारिश के कारण उस वक्त लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जब भूस्खलन से रेल पटरियों पर बड़ी मात्रा में मलबा और बड़े-बड़े पत्थर आकर गिर गए, जिससे की हरिद्वार-ऋषिकेश रेलमार्ग अवरुद्ध हो गया और यात्रियों को काफी इंतजार करना पड़ा। यह घटना शहर के रेलवे स्टेशन के पास स्थित काली मंदिर के पास हुई। इस दौरान पहाड़ी से बड़े-बड़े पत्थर ट्रैक पर बने लोहे के स्ट्रक्चर पर आ गिरे, जिससे कि वह क्षतिग्रस्त हो गया और मलबा ट्रैक पर आ गिरा। रेल पटरियों पर मरम्मत का काम जारी है।राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) ने यहां बताया कि खराब मौसम के बीच लापता लोगों की तलाश जारी रही, जबकि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अग्निशमन कर्मियों ने फंसे हुए अधिकांश लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।इसमें कहा गया है कि विभिन्न स्थानों पर फंसे 900 लोगों को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और अग्निशमन कर्मियों द्वारा बचाया गया भारी बारिश से सरकारी और निजी संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है जहां कई सड़क और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं जिसके चलते कई सड़क मार्ग भी बंद है नुकसान आकलन प्रशासनिक अधिकारी जुटाने में लगे हुए हैं।बारिश के बाद ज्यादातर नदियां उफान पर हैं। तमसा नदी (जिसे टोंस नदी भी कहा जाता है) के पानी से उसके तट पर स्थित प्रसिद्ध टपकेश्वर मंदिर जलमग्न हो गया, जिससे उसके प्रवेश द्वार के पास स्थित विशाल हनुमान प्रतिमा कंधों तक डूब गई। मंदिर के पुजारी बिपिन जोशी ने बताया कि उन्होंने पिछले 25-30 सालों में नदी का पानी इतना ऊपर उठते नहीं देखा।
