दीपक अधिकारी
हल्द्वानी
कुमाऊं का राजनीतिक माहौल इन दिनों एक नए विवाद से गरमाया हुआ है। विपक्षी दल के एक प्रभावशाली नेता के करीबी शर्मा पर देसी शराब कारोबारियों से प्रति पेटी ₹50 की अवैध वसूली करने के गंभीर आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो शर्मा पिछले कई महीनों से नैनीताल में शराब वितरण चक्र पर अपना दबदबा बनाए हुए है और हर पेटी पर वसूले जा रहे पैसे से मोटी कमाई कर रहा है। इस कथित उगाही ने न केवल कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ाई हैं, बल्कि व्यवस्था पर भी कई बड़े सवाल खड़े किए हैं।शराब कारोबारियों का कहना है कि पहले से ही बढ़ते खर्चों और कड़ी सरकारी निगरानी के बीच कारोबार करना आसान नहीं है, और अब इस तरह की अवैध वसूली ने उनकी कमर तोड़ दी है। कई व्यापारी दबाव के चलते खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अंदरखाने इस उगाही का विरोध लगातार बढ़ रहा है। कारोबारी बताते हैं कि शर्मा द्वारा की जा रही यह वसूली एक संगठित तंत्र के रूप में काम कर रही है, जिसमें स्थानीय स्तर पर राजनीतिक संरक्षण होने की भी संभावना जताई जा रही है। जानकार मानते हैं कि यदि विपक्षी नेता के करीबियों द्वारा शराब कारोबार में दखल अंदाजी और वसूली का यह खेल सही है, तो यह स्पष्ट करता है कि शराब को लेकर की जाने वाली बयानबाज़ी के पीछे आर्थिक हित भी जुड़े हो सकते हैं।सूत्र बताते हैं कि कुछ बड़े कारोबारी इस वसूली से इतने परेशान हो चुके हैं कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो वे उत्तराखंड से कारोबार समेटने का फैसला भी कर सकते हैं। इससे राज्य के राजस्व पर सीधा असर पड़ सकता है, क्योंकि शराब विभाग से मिलने वाली आय राज्य के विकास कार्यों—विशेष रूप से खेल, गौ संरक्षण , महिला सशक्तिकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर—का एक बड़ा स्रोत है।फिलहाल प्रशासन को भी इस पूरे प्रकरण की जानकारी मिल चुकी है, और अगर औपचारिक शिकायत दर्ज होती है, तो जांच शुरू होने की संभावना है। उधर सियासी गलियारों में भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। आने वाले दिनों में यह मामला उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा विवाद बन सकता है। यदि वसूली के आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह नेता जी के लिए बड़ा झटका साबित होगा और शराब कारोबारियों के बीच खुली बगावत भी शुरू हो सकती है।



