उत्तराखंड: कुर्सियों पर राजनीति सीएम धामी के दौरे से पहले भाजपा में शक्ति-प्रदर्शन की जंग, मंच पर भिड़े दिग्गज नेता

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दीपक अधिकारी

हल्द्वानी

रानीखेत/ताड़ीखेत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बहुप्रचारित कार्यक्रम से पहले ताड़ीखेत में भाजपा की अंदरूनी सियासत पूरी तरह सतह पर आ गई। ‘जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार’ कार्यक्रम के मंच को लेकर चली रस्साकशी अचानक खुले शक्ति-प्रदर्शन में बदल गई। पूर्व विधायक द्वाराहाट महेश नेगी और विभाग प्रभारी व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल शाही मंच पर आमने-सामने आ गए। मंच पर बैठने वालों की सूची से नाम हटने का मुद्दा देखते ही देखते राजनीतिक टकराव का रूप ले गया प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महेश नेगी ने मंच पर पहुंचते ही सूची पर सवाल उठाते हुए सीधे अनिल शाही से जवाब मांगा। दोनों नेताओं के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, जिससे कार्यक्रम स्थल पर मौजूद कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में खलबली मच गई। मंच पर हुआ यह घटनाक्रम महज व्यक्तिगत नाराजगी नहीं, बल्कि क्षेत्रीय नेतृत्व और संगठनात्मक वर्चस्व की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की जनसभा के मद्देनजर पहले 25 नेताओं की सूची तैयार की गई थी, लेकिन अंतिम समय में गुटीय संतुलन साधने के प्रयास में कुछ नाम हटा दिए गए। इसी फैसले ने पुराने राजनीतिक समीकरणों और अंदरूनी असंतोष को एक बार फिर उजागर कर दिया।स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन और पुलिस को तत्काल हस्तक्षेप करना पड़ा। सीडीओ रामजी शरण, संयुक्त मजिस्ट्रेट गौरी प्रभात और पुलिस अधिकारियों ने दोनों नेताओं को अलग कर माहौल संभाला। इसी बीच एक समर्थक द्वारा मंच पर विरोध जताने की कोशिश ने संकेत दे दिया कि असंतोष केवल नेताओं तक सीमित नहीं है।उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंच पर सीधे पहुंचने के बजाय पहले बहुद्देश्यीय शिविर में लगे करीब 43 विभागीय स्टालों का निरीक्षण करते रहे, जबकि मंच पर संगठनात्मक खींचतान जारी रही। बाद में सीएम के मंच पर पहुंचने के बाद भले ही दोनों नेता एक कोने में बातचीत कर गलतफहमी दूर करते नजर आए, लेकिन मंच से पहले हुआ यह टकराव भाजपा के भीतर चल रही सत्ता-संतुलन और नेतृत्व की राजनीति को साफ तौर पर उजागर कर गया।

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