वन भूमि में अतिक्रमण… हाईकोर्ट का सख्त रवैया, डीएफओ को ये निर्देश

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दीपक अधिकारी

हल्द्वानी

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विकासनगर में वन भूमि पर अतिक्रमण और उसकी खुर्द-बुर्द के मामले में याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के अंदर संबंधित वन क्षेत्रीय अधिकारी (डीएफओ) को प्रत्यावेदन सौंपने का निर्देश दिया है।साथ ही, डीएफओ को क्षेत्र का निरीक्षण कर छह महीने में उचित कार्रवाई करने को कहा गया है। यह आदेश देहरादून निवासी विकेश नेगी की ओर से दायर याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने जारी किया।याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसे जानकारी मिली है कि विकासनगर के क्यारकुली भट्टा, चालंग, अम्बारी, डांडा जंगल, रूद्रपुर आदि गांवों में धोखाधड़ी के जरिए वन भूमि को हड़पकर उसका गैरकानूनी तरीके से उपयोग किया जा रहा है, साथ ही वनों की अवैध कटाई भी की जा रही है।उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के तहत इन भूमि को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है। इस कानून के तहत, सरकार और गांव समाज की वन भूमि को किसी भी रूप में हस्तांतरित या बेचा नहीं जा सकता, जो कि वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है।याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने पहले भी 20 सितंबर को मुख्यमंत्री और वन मंत्री को मामले के बारे में अवगत कराते हुए प्रत्यावेदन सौंपा था और मुख्य वन संरक्षक को भी इस विषय में सूचित किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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