बर्ड वॉचिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा उत्तराखंड, हल्द्वानी में तैयार की गई पांच ट्रेल्स

Spread the love

250 से अधिक पक्षिओं की प्रजातियां पाई जाती है.वेबसाइट के जरिये भी कर सकते हैं अवलोकन

दीपक अधिकारी

हल्द्वानी

हल्द्वानी: वन प्रभाग हल्द्वानी इको टूरिज्म की ओर लगातार बढ़ रहा है. इसी के तहत विभाग सफारी योजना के माध्यम से पर्यटकों को वन्यजीवों का दीदार करवा रहा है. इसी को देखते हुए वन विभाग ने पहली बार बर्ड वॉचिंग ट्रेल्स, तैयार की है. जिसके माध्यम से पर्यटक पक्षियों के संसार का दीदार कर सकेंगे.डीएफओ हल्द्वानी वन प्रभाग कुंदन कुमार ने बताया नंधौर वन्यजीव अभयारण्य जैव विविधता का एक प्रमुख केंद्र है. यहां 250 से अधिक पक्षिओं की प्रजातियां पाई जाती है. जिसको देखते हुए विभाग ने बर्ड वॉचिंग के लिए पांच ट्रेल तैयार की हैं. ट्रेल्स छाकाता अंतर्गत रातीघाट बर्ड वाचिंग ट्रेल, नंधौर अंतर्गत सुमनथापला बर्ड वाचिंग ट्रेल, शारदा अंतर्गत शारदा घाट से शारदा बैराज और शारदा अंतर्गत ककराली बर्ड वाचिंग ट्रेल, डांडा अंतर्गत डांडा सर्पाछीड़ा दनौड़ बर्ड वाचिंग ट्रेल में बड़ी संख्या में पक्षियों का आवास स्थल है. जिसके माध्यम से पर्यटक पक्षियों का अवलोकन कर सकेंगे.यहां मेंग्रेट हॉर्नबिल, व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर, स्कारलेट मिनिवेट, येलो वेंटेड बुलबुल, रै केट टेल्ड ड्रोंगो, व्हाइट थ्रोटेड लाफिंग थ्रस, ब्लैक हुडेड ओरियोल और रेड नैक्ड पैराकीट के अलावा कई अत्यंत दुर्लभ प्रजातियों की पक्षियां पाई जाती हैं. ऐसे में हल्द्वानी वन प्रभाग की ओर से बर्ड-टूरिज्म को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है. जहां प्रशिक्षित नेचर गाइड्स की सहायता से अब पर्यटक इन पक्षियों के संसार का को नजदीक से देख सकेंगे. पर्यटक इन पक्षियों का अवलोकन https://nandhaurwildlife.uk.gov.in/ऑनलाइन बुकिंग नंधौर वन्यजीव अभयारण्य की नवीन वेबसाइट के माध्यम से भी कर सकते हैं.डीएफओ हल्द्वानी वन प्रभाग कुंदन कुमार ने बताया विभाग की मंशा इको टूरिज्म के माध्यम से इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पर्यटन को बढ़ाने की है. जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. साथ ही उत्तराखंड के वन्यजीवों के बारे में अधिक से अधिक लोगों तक जानकारी पहुंचेगी.

 

पढे़ं- 100 साल से अधिक पुराने ‘महावृक्ष’ को बचाने की कवायद, गोलाई और ऊंचाई है खासियत

 

पढे़ं- रंग-बिरंगी तितलियों का संसार देखना चाहते हैं तो चले आइए यहां

 

पढ़ें- वन विभाग की ‘गोली’ से गश्त, न महकमे को फिक्र न प्रशासन को चिंता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *