
दीपक अधिकारी

हल्द्वानी
हल्द्वानी, 22 मार्च 2025 – यूसर्क, देहरादून के तत्वावधान में एम.आई.ई.टी. कुमाऊँ और एसीआईसी देवभूमि फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से 20 से 22 मार्च 2025 तक स्कूली छात्रों के लिए वर्मी कम्पोस्टिंग एवं पर्यावरण उद्यमिता पर तीन दिवसीय हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम में दून पब्लिक स्कूल, हरगोविंद सुयाल इंटर कॉलेज और लॉर्ड कृष्णा स्कूल के 100 से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. बी.एस. बिष्ट (प्रबंध निदेशक, एम.आई.ई.टी. कुमाऊँ), डॉ. तरुण कुमार सक्सेना (कार्यकारी निदेशक, एम.आई.ई.टी. कुमाऊँ) एवं डॉ. कमल रावत (सीईओ, एसीआईसी देवभूमि फाउंडेशन) द्वारा किया गया। इस अवसर पर विद्यालयों के शिक्षकगण, जिनमें श्रीमती निधि बिष्ट, श्री योगेश मेहरा, श्री कन्नू धर्मवाल, श्री दीपक चंद, सुश्री कुनिका शर्मा एवं श्रीमती ललिता मेहरा उपस्थित रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान छात्रों को वर्मी कम्पोस्टिंग की वैज्ञानिक विधियों एवं पर्यावरणीय जागरूकता से परिचित कराया गया। पहले दिन नगर निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर श्री मनोज नेगी, शेमफोर्ड स्कूल की अकादमिक निदेशक श्रीमती अंजू भट्ट एवं डॉ. कमल रावत ने वर्मी कम्पोस्टिंग के सिद्धांतों, प्रक्रिया एवं पर्यावरणीय लाभों पर विस्तृत जानकारी दी। दूसरे दिन, डॉ. कमल रावत द्वारा विशेष हैंड्स-ऑन सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने जैविक कचरे का उपयोग कर स्वयं कम्पोस्ट तैयार किया। इसके साथ ही, उन्होंने छात्रों को डिज़ाइन थिंकिंग एवं नवाचार तकनीकों से भी अवगत कराया, जिससे वे रचनात्मक सोच और समस्या समाधान कौशल विकसित कर सकें। तीसरे और अंतिम दिन, छात्रों ने राजीव गांधी नवोदय इंटर कॉलेज के व्याख्याता श्री निर्मल नेओलिया के मार्गदर्शन में होम कम्पोस्टिंग बिन के प्रोटोटाइप विकसित किए। छात्रों के नवाचारी प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन किया गया एवं श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले तीन समूहों को सम्मानित किया गया इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन में कार्यक्रम समन्वयक श्रीमती आयुषी एवं श्री मोहित सुयाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल पर्यावरण संरक्षण एवं सतत विकास के प्रति छात्रों में जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि उन्हें पर्यावरणीय उद्यमिता के क्षेत्र में नए अवसर तलाशने हेतु प्रेरित भी किया। एम.आई.ई.टी. कुमाऊँ इसी प्रकार के प्रयासों के माध्यम से सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक शिक्षा के बीच की दूरी को कम कर रहा है, जिससे युवा मस्तिष्कों को हरित व्यवसाय (ग्रीन बिजनेस) एवं पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा सके।




