दीपक अधिकारी


हल्द्वानी
एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का सपना साकार करने में जुटे हैं, दूसरी ओर जनपद ऊधमसिंह नगर में टैक्स चोरी का संगठित गिरोह सरकार की नाक के नीचे सक्रिय है। करोड़ों के राजस्व को निगलने वाला यह खेल राज्य कर विभाग की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों का दावा है कि पूरे तंत्र को ऊधमसिंह नगर में तैनात विभाग के ही एक बड़े अफसर की खुली शह मिली हुई है।
बरेली-दिल्ली से बेधड़क पहुंच रहा माल
रुद्रपुर, किच्छा और आसपास के इलाकों में बिना बिल-बिल्टी का माल धड़ल्ले से उतारा जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह पूरा नेटवर्क उत्तर प्रदेश के बरेली व दिल्ली में पनपा है। पहले माल को तिरपाल ढककर भेजा जाता था, लेकिन बार-बार पकड़े जाने पर अब कारोबारी 32-32 फुट के भारी कंटेनरों का सहारा ले रहे हैं। ये कंटेनर केवल सादे कागज पर किराया पर्ची के साथ बॉर्डर पार कर रहे हैं। ज्यादातर ट्रांसपोटरों ने बंद बॉडी वाली गाड़ियां बना ली हैं। न कोई टैक्स, न कोई वैध दस्तावेज—नतीजा, सरकार के खजाने को हर महीने करोड़ों का नुकसान।
अफसरों पर संरक्षण के गंभीर आरोप
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि यह खेल महज कुछ चतुर ट्रांसपोर्ट कारोबारियों का नहीं, बल्कि कथित तौर पर राज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की सीधी मिलीभगत से चल रहा है। कहा जा रहा है कि अधिकारी की ‘नजर-ए-करम’ के बदले मोटी रकम की बंदरबांट होती है। नतीजा, चेकपोस्ट और निरीक्षण महज औपचारिकता बनकर रह गए हैं।
धामी सरकार की मुहिम पर बड़ा सवाल
बेखौफ हो चुके ट्रांसपोर्ट कारोबारी और विभागीय अफसरों की कथित मिलीभगत मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के वादे को कठघरे में खड़ा कर रही है। लगातार बढ़ते काले कारोबार पर न तो स्थानीय कर विभाग की कोई सख्त कार्रवाई दिख रही है और न ही अब तक कोई बड़ी धरपकड़।
जनता और व्यापार जगत में रोष
उधमसिंह नगर के ईमानदार व्यापारी और करदाता पूछ रहे हैं कि जब सरकार खुद ‘भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड’ का दावा कर रही है, तो फिर ऐसे संगठित अपराध को कौन रोकने वाला है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि राज्य कर विभाग के इस ‘मालामाल’ नेटवर्क पर सख्ती से अंकुश लगाना चाहिए।
