उत्तराखंडः (बड़ी खबर)-सरसों तेल का सैंपल जांच में फेल, इस कंपनी पर लगा जुर्माना

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दीपक अधिकारी

 

हल्द्वानी

 

ब्रेकिंग न्यूज़ : 17 मार्च 2019 को, खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्रीनगर ने स्वर्गाश्रम जौंक क्षेत्र में रासबिहारी अग्रवाल के सुदर्शन आयुर्वेदा से “श्री जिंदल कच्ची घानी गोल्ड” ब्रांड का 200 एमएल सरसों तेल का सैंपल लिया था। इस सैंपल को परीक्षण के लिए भेजा गया था, और जांच में यह पाया गया कि तेल में आयोडीन की मात्रा मानक सीमा से अधिक थी। मार्च 2019 में स्वर्गाश्रम जौंक क्षेत्र से सरसों के तेल के सैंपल लेकर उसकी जांच की गई, जिससे पता चला कि तेल में आयोडीन की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक थी। इस कारण राजस्थान की एक तेल उत्पादक कंपनी पर 2.20 लाख रुपये का जुर्माना और उत्तराखंड के छिदरवाला की रि-पैकेजिंग कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।खाद्य सुरक्षा विभाग ने दुकानदार और निर्माता कंपनी को अन्य मान्यता प्राप्त लैब में तेल की दोबारा जांच कराने का मौका दिया, लेकिन उन्होंने इसका कोई आवेदन नहीं किया। इसके बाद विभाग ने न्याय निर्णायक अधिकारी/एडीएम पौड़ी की अदालत में इस मामले में वाद दर्ज किया।अदालत में सुनवाई के दौरान दुकानदार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि वह केवल फुटकर विक्रेता है और तेल उसने केसी ऑयल मिल एंड ट्रेडर्स से लिया था, जो केवल रि-पैकेजिंग करता है। तेल की असल सप्लाई जीआरजी ऑयल एग्रो फूड पार्क, उद्योग विहार, गंगानगर से होती थी। दुकानदार द्वारा तेल खरीद का पक्का बिल प्रस्तुत करने के बाद उसे इस वाद से मुक्त कर दिया गया। हालांकि, अदालत ने निर्माता कंपनी और रि-पैकेजिंग कंपनी को तेल की गुणवत्ता बनाए रखने में विफल पाया और उन पर जुर्माना लगाया।जिला अभिहित अधिकारी पौड़ी ए.एस. रावत ने बताया कि न्याय निर्णायक अधिकारी/एडीएम पौड़ी ईला गिरी की अदालत ने खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 और विनियम-2011 के मानकों के तहत “श्री जिंदल कच्ची घानी गोल्ड” सरसों तेल को अधोमानक पाया है। इस पर अदालत ने तेल निर्माता कंपनी जीआरजी ऑयल एग्रो फूड पार्क, उद्योग विहार, गंगानगर, राजस्थान पर 2 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही रि-पैकेजिंग कंपनी केसी ऑयल मिल एंड ट्रेडर्स, छिदरवाला, ऋषिकेश पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि जुर्माने की राशि 15 दिनों के भीतर जमा की जाए, अन्यथा इसे भू-राजस्व की भांति वसूला जाएगा।

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