हल्द्वानी: कल के बवाल के बाद लो फिर चर्चाओं में SSP… कार्यकर्ताओं के साथ हुई बदसलूकी पर फूटा BJP नेताओं का गुस्सा, CM के सामने कहीं यह बात

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दीपक अधिकारी

हल्द्वानी

हल्द्वानी: शनिवार को कालूसिद्ध मंदिर में आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर की कार्यप्रणाली ने सत्ता पक्ष के नेताओं की सार्वजनिक बेइज्जती कर डाली। मामला उस वक्त गरमा गया जब एसएसपी प्रहलाद मीणा ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को मंदिर परिसर में घुसने से सरेआम रोक दिया। राजनीतिक रसूख की भी धज्जियां उड़ गईं, जब भाजपा के पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष आनंद दरम्वाल और पार्षद राजेंद्र अग्रवाल उर्फ मुन्ना को रस्सी के बाहर रोक दिया गया, मानो वे कोई आम राहगीर हों। दोनों नेता सड़क किनारे खड़े रह गए, जबकि मुख्यमंत्री के साथ कई पार्टी कार्यकर्ता अंदर प्रवेश कर गए।जब वरिष्ठ भाजपा नेता चंदन सिंह बिष्ट ने एसएसपी से हस्तक्षेप करते हुए निवेदन किया तो एसएसपी ने अजीबो गरीब लहजे में जवाब दिया, “पार्षद हो या मेयर, कोई फर्क नहीं पड़ता।” यही वाक्य चिंगारी बन गया। इस बीच चंदन बिष्ट भावुक हो गए। एक वरिष्ठ नेता को इस तरह भावुक होते देख भाजपा कार्यकर्ताओं में माहौल पूरी तरह गरमा गया।दायित्वधारी रेनू अधिकारी ने भी पुलिस पर सीधा हमला बोला और कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को बार-बार जानबूझकर अपमानित किया जाता है। जबकि दायित्वधारी शंकर कोरंगा ने बीच बचाव किया और मामले को शांत करने का प्रयास किया। हालात बिगड़ते देख सीएम पुष्कर सिंह धामी को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने अधिकारियों के रवैये पर संज्ञान लेने का आश्वासन दिया सत्ता पक्ष के नेता के साथ इस तरह का व्यवहार पार्टी के भीतर भी सवाल खड़े कर गया। जिस सरकार में भाजपा पूर्ण बहुमत से शासन चला रही है, उसी में पार्टी के जनप्रतिनिधियों को इस तरह रस्सी के बाहर खड़ा कर देना, और अपमानित करना कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि पुलिस के आला अधिकारी बेलगाम हो चला है।

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