दीपक अधिकारी


हल्द्वानी
देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ ने कुख्यात प्रवीण वाल्मीकि गैंग के खिलाफ चल रही कार्रवाई में बड़ा खुलासा करते हुए दो पुलिस आरक्षियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अपराधियों के साथ सांठ–गांठ रखने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। यह गिरफ्तारी गैंग की जड़ें उखाड़ने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के निर्देशों के बाद से राज्यभर में संगठित अपराध और गैंगस्टरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई तेज की गई है। इसी क्रम में एसटीएफ ने प्रवीण वाल्मीकि गिरोह से जुड़े मामलों की विवेचना अपने हाथ में लेकर गहराई से जांच शुरू की थी। जांच में सामने आया कि हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र में करोड़ों की संपत्तियों को हड़पने के लिए गैंग ने फर्जी दस्तावेजों और पावर ऑफ अटॉर्नी का सहारा लिया। इस साजिश में गैंग के शूटर मनीष बॉलर और पंकज अष्टवाल के साथ-साथ दो पुलिस आरक्षियों की भी संलिप्तता पाई गई।एसटीएफ की विवेचना में खुलासा हुआ कि आरक्षी शेर सिंह और हसन अब्बास जैदी की गैंग से गहरी नजदीकियां थीं। उनके आपराधिक संबंधों के सबूत कॉल डिटेल्स और जेल मुलाकातों के रूप में मिले हैं। आरोप है कि दोनों ने पीड़ित परिवार को डरा-धमकाकर उनकी जमीन जबरन बेचने का दबाव बनाया। यहां तक कि रुड़की कोर्ट और अस्पताल परिसर में गैंग के सदस्यों से पीड़ित पक्ष की मुलाकात कराकर उन्हें धमकाया गया। इससे पहले एसटीएफ मनीष बॉलर, पंकज अष्टवाल और गैंग से जुड़ी महिला निर्देश को भी गिरफ्तार कर चुकी है। पूरा मामला 2014 से शुरू हुआ जब सुनेहरा गांव के श्याम बिहारी की मौत के बाद उनकी करोड़ों की संपत्ति पर गैंग की नजर पड़ी। वारिसों को धमकाने और उनके परिजनों पर हमले करने के बाद गैंग ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए संपत्ति अपने नाम करने की साजिश रची।
