

दीपक अधिकारी


हल्द्वानी
हल्द्वानी: अंगदान जैसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व को अपनाते हुए एमबीपीजी कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. संतोष मिश्र ने अपने पूरे परिवार के साथ भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के ऑर्बो (ORBO) की पहल पर अंगदान का शपथ पत्र भरकर डोनर कार्ड प्राप्त किया है। उन्होंने उत्तराखंड राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में संपूर्ण अंगदान की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए।डॉ. मिश्र का कहना है कि वर्तमान में कुछ मेडिकल कॉलेजों में नेत्रदान और देहदान की सुविधा जरूर उपलब्ध है, लेकिन संपूर्ण अंगदान (Organ Donation) की आधारभूत संरचना न होने के कारण इच्छुक दानदाता अंगदान नहीं कर पा रहे हैं। यदि राज्य में यह व्यवस्था स्थापित हो जाती है तो स्थानीय स्तर पर दान किए गए अंगों का उपयोग कर कई ज़िंदगियों को बचाया जा सकता है उन्होंने जानकारी दी कि एम्स में अंगदान के दो तरीके हैं—पहला, जीवनकाल में शपथ पत्र भरकर अंगदान की स्वेच्छा व्यक्त करना और दूसरा, मृत्यु के उपरांत परिवार की सहमति से अंगदान करना। कोई भी नागरिक, दो गवाहों (जिसमें एक करीबी रिश्तेदार अनिवार्य हो) की उपस्थिति में अंगदान शपथ पत्र भर सकता है डॉ. मिश्र ने बताया कि अंगदान का यह शपथ पत्र एम्स की वेबसाइट से नि:शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है और ऑनलाइन भी भरा जा सकता है। सत्यापन के बाद एम्स नई दिल्ली द्वारा संबंधित व्यक्ति को ऑर्गन डोनर कार्ड जारी किया जाता है, जिसे हमेशा अपने पास रखना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत जानकारी उपलब्ध हो सके उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में अंगदान के प्रति जागरूकता तो बढ़ रही है लेकिन आधारभूत ढांचा और प्रशासनिक समर्थन के अभाव में इच्छाशक्ति के बावजूद आमजन इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि इस दिशा में ठोस पहल करे और सभी मेडिकल कॉलेजों में अंग प्रत्यारोपण केंद्रों की स्थापना सुनिश्चित करे।



