बाघ और गुलदार से भी ज्यादा खतरनाक है साइलेंट किलर, रहे सावधान,6 वर्षों में 55 लोगों की हुई है मौत

Spread the love

दीपक अधिकारी

हल्द्वानी

मानसून सीजन में अधिक बारिश होने और गर्मी के चलते जंगलों में रहने वाले वन्यजीव आबादी की ओर आ रहे हैं जिसके चलते मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी सामने आने लगी है. बारिश के साथ सांप की काटने की भी घटनाएं भी सामने आने लगी है जिसको देखते हुए वन विभाग ने रेंज के सभी वन चौकी में एंटी स्नेक वेनम सिरम की इंजेक्शन की डोज को उपलब्ध कराया है जिससे कि सांप डसने के दौरान लोगों को तुरंत इंजेक्शन के माध्यम से जहर को कम किया जा सके बरसात के चलते जंगलों में रहने वाले वन्यजीव बारिश और गर्मी की उमस के चलते जंगलों से बाहर आते हैं. इन्हीं वन्यजीवों में सांप भी शामिल है जो बाघ और भालू से भी खतरनाक है. बाघ और भालू की आवाज से लोग सतर्क हो जाते हैं लेकिन खामोशी से रहने वाला सांप इंसानों के लिए खतरा बन रहे हैं कुमाऊं मंडल के तराई पूर्वी वन प्रभाग सबसे अधिक क्षेत्रफल वाला जंगल है जिसकी सीमा उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और नेपाल से लगा हुआ है. जहां भारी संख्या में खूंखार जानवर भी रहते हैं मानसून के सीजन में अक्सर देखा गया है कि सांप जंगल से निकलकर आबादी की ओर चले आते हैं जिसके चलते सांप के काटने की घटनाएं भी बढ़ जाती है विभागीय आंकड़ों की बात करें तो पिछले 6 सालों में सांपों के काटने से 55 लोगों की मौत हुई है जबकि बाघ के हमले से 17 लोगों की मौत हुई है जबकि गुलदार के हमले से 9 लोग की मौत हुई है आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019-20 में सांप के काटने से 6 लोगों की मौत हुई थी जबकि बाघ और तेंदुआ से किसी की जान नहीं गई. वर्ष 2020-21की बात करें तो सांप से 3 लोगों की मौत हुई जबकि तेंदुआ के हमले से एक व्यक्ति की मौत हुई. वर्ष 2021-22 की करें तो सांप के काटने से 16 लोगों की जबकि बाघ से एक और तेंदुए से पांच लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2022-23 में सांप से 11 और बाघ से 7 लोगों की मौत हुई थी. 2023- 24 में सांप के काटने से 10 बाघ के हमले से 3 जबकि गुलदार के हमले से दो लोगों की जान गई. वर्ष 2024 -25 की बात करें तो सांप के काटने से अभी तक 10 लोगों की जबकि टाइगर के हमले से 6 लोगों की मौत हुई है जबकि गुलदार के हमले से एक व्यक्ति की मौत हुई है डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग हिमांशु बागड़ी ने बताया कि मानसून के सीजन में सांपों की काटने की घटना बढ़ जाती है इसको देखते हुए विभाग जंगलों के आसपास के क्षेत्र में रहने वाले गांव में जन जागरूकता अभियान भी चल रहा है इसके अलावा वन विभाग के सभी वन चौकियों पर एंटी स्नेक वेनम सिरम इंजेक्शन की डोज रखी गई है जहां कहीं भी सांप काटने की सूचना आती है तो प्रशिक्षित वनकर्मी मौके पर पहुंचकर उसको इंजेक्शन देती है जिससे कि जहर के असर को रोका जा सके.इसके अलावा सांपों के काटने के बाद मृत्यु होने पर मृतक के परिजनों को ₹400000 की आर्थिक सहायता वन विभाग की ओर से दी जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *