हल्द्वानी मेयर पद…इस समीकरण को साधने में जुटी भाजपा!, तिकड़ी ने बढ़ाई उलझन

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दीपक अधिकारी

हल्द्वानी

उत्तराखंड के हल्द्वानी नगर निगम के मेयर प्रत्याशी को लेकर भाजपा में संशय की स्थिति बनी हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अभी भी गहन मंथन में जुटे हैं ताकि ऐसा रास्ता निकाला जा सके, जिसमें मेयर का टिकट किसी भी प्रत्याशी को मिले, तो अन्य दावेदार उनके साथ खड़े नजर आएं। भाजपा के लिए यह निर्णय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार हल्द्वानी मेयर की सीट को लेकर राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं, और पार्टी को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एकजुटता की जरूरत है कांग्रेस ने जहां शुक्रवार रात को ललित जोशी को मेयर प्रत्याशी घोषित कर दिया, वहीं भाजपा अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर पाई है। कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण के बाद हल्द्वानी में मजबूत उम्मीदवार के रूप में ललित जोशी को उतारते हुए भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं जोशी जो राज्य आंदोलनकारी और एमबीपीजी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं, हल्द्वानी की राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बना चुके हैं। उनकी उम्मीदवारी ने भाजपा को एक नया दबाव दिया है, खासकर तब जब हल्द्वानी में मेयर की सीट सामान्य घोषित हो चुकी है।भा.ज.पा. के भीतर मेयर प्रत्याशी को लेकर तीन प्रमुख नामों की दावेदारी सामने आ रही है। पहले गजराज सिंह बिष्ट का नाम सबसे प्रमुख था, जब सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थी, लेकिन अब जब यह सीट सामान्य हो गई है, तो भाजपा के लिए समीकरण बदल गए हैं। इसके अलावा, महेन्द्र भट्ट के बयान ने और भी चर्चाओं को हवा दी है, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में महिलाओं को निर्धारित आरक्षण से अधिक पदों पर चुनाव लड़ाने की बात कही। इस बयान के बाद हल्द्वानी मेयर सीट को लेकर नए कयास लगने शुरू हो गए हैं और भाजपा के अंदर महिला प्रत्याशी को लेकर भी विचार विमर्श किया जा रहा है भा.ज.पा. के वरिष्ठ पदाधिकारी अब ऐसा उम्मीदवार चुनने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जो न केवल पार्टी की नीतियों को आगे बढ़ाए, बल्कि पार्टी के भीतर के विभिन्न धड़ों को भी एकजुट रखे। भाजपा का उद्देश्य है कि जो भी मेयर प्रत्याशी घोषित किया जाए, वह पार्टी के सभी समर्थकों को साथ लेकर चले, ताकि चुनावी मुकाबला कांग्रेस से सख्त हो सके।भा.ज.पा. का यह फैसला उत्तराखंड की राजनीति में अहम मोड़ पर आ चुका है और हल्द्वानी नगर निगम का चुनाव न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि प्रदेशभर में पार्टी की स्थिति को प्रभावित कर सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा अपने प्रत्याशी का चयन किस आधार पर करती है और किस प्रकार चुनावी रण में उतरती है।

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